Shiv Chalisa Path in Hindi with Meaning: श्री शिव चालीसा पाठ हिंदी में अर्थ सहित

शिव चालीसा के पाठ (Shiv Chalisa Path) का महत्वपूर्ण रूप से हिंदी में अर्थ सहित प्रस्तुत किया गया है। इसमें शिव चालीसा के शब्द हिंदी में (Shiv Chalisa Path Lyrics in Hindi)’, भगवान शिव की महिमा को स्वीकार करने का एक सुंदर तरीका है। जो भक्तों को इस पाठ को समझने और भगवान की भक्ति में लीन होने का अवसर प्रदान करता है। यह शिव चालीसा, भक्तों को आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से समृद्धि प्रदान करता है।

अर्थ – पार्वती पुत्र, सभी मंगलों के ज्ञाता श्री गणेश को जय हो। मैं अयोध्यादास आपसे वरदान प्राप्त करना चाहता हूँ।

अर्थ – पार्वतीजी के स्वामी, आपका विजयी हो! आप दीन-दुखियों पर अनुकंपा करते हैं और साधु-संतजनों की सुरक्षा करते हैं। हे त्रिशूलधारी, नीलकण्ठ! आपके मस्तक पर चन्द्रमा सुशोभित है औ कानो में नागफनी के कुण्डल शोभायमान हैं।

अर्थ – हे गौरीवर्णिनी! आपकी जटाओं में गंगा बह रही है, गले में मूण्डों की माला है, और शरीर पर भस्म लगा हुआ है। हे त्रिलोकी! आपके वस्त्र बाघ की खाल के हैं। आपकी शोभा को देखकर नाग और मुनिजन मोहित हो रहे हैं।

अर्थ- माता मैना की प्रिय पुत्री, पार्वतीजी, आपके बाईं ओर सुशोभित हैं। उनकी शोभा अत्यंत निराली और अद्वितीय है। आपके हाथ में त्रिशूल है, जो अपनी उत्तम छवि से युक्त है, और इससे आप सदैव शत्रुओं का संहार करते रहते हैं।

अर्थ- आपके समक्ष आपका वाहन नंदी और गणेशजी समुद्र के बीच में खिले कमलों के समान सुशोभित हैं। कार्तिकेयजी और उनके गण भी वहां विराजमान हैं। इस दृश्य की शोभा का वर्णन करना असंभव है।

अर्थ- हे त्रिपुरारी! जब भी देवताएं सहायता के लिए पुकारती थीं, हे नाथ! आपने बिना किसी विलम्ब के उनके दु:खों को दूर किया। जब ताड़कासुर ने अत्याचार करना शुरू किया, तो सभी देवताएं ने आपसे रक्षा करने की प्रार्थना की।

अर्थ- तब आपने कार्तिकेयजी को तुरंत भेजा, और उन्होंने पलक झपकने की देरी में उस राक्षस को मार गिराया। आपने जलंधर नामक भयंकर राक्षस का विनाश किया, जिससे आपका यश सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध हो गया है।

अर्थ: त्रिपुर नामक राक्षस के साथ युद्ध करके, आपने सभी देवताओं पर अपनी कृपा बरसाई और उन्हें उस दुष्ट आतंक से मुक्त कर दिया। राजा भगीरथ के तप के पश्चात, आपने अपनी जटाओं में बसी गंगा को पृथ्वी पर आने की अनुमति दी। भगीरथ का व्रत आपके कारण ही सिद्ध हुआ।

अर्थ: भगवान शिव सबसे बड़े दानी हैं। उनके समान कोई भी दानी नहीं है। भक्तजन सदा ही उनकी स्तुति और गुणगान करते रहते हैं। वेदों में भी उनकी महिमा का वर्णन है। लेकिन वे अनादि हैं, इसलिए उनका रहस्य कोई भी नहीं जान सका।

अर्थ: समुद्र मंथन से निकला विष इतना भयंकर था कि देवता और राक्षस दोनों ही जलने लगे। वे इस विष से इतना घबरा गए थे कि उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था। तभी, भगवान शिव ने अपनी दयालुता से उन्हें बचाया। उन्होंने उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया, इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा।

अर्थ: लंका पर चढ़ाई करने से पहले, श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा की, जिसके बाद उन्हें विजय प्राप्त हुई और उन्होंने विभीषण को लंका का राजा बनाया। हे महादेव! जब श्रीरामचन्द्रजी सहस्त्र कमलों से आपकी पूजा कर रहे थे, तब आपने स्वयं को फूलों में छिपाकर उनकी परीक्षा ली।

अर्थ: शिवजी ने अपनी माया से एक कमल का फूल छिपा दिया। तब रामचन्द्रजी ने अपने नयन रूपी कमल से ही पूजा करने का निश्चय किया। शिवजी ने उनकी इस दृढ़ आस्था से प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान दिया।

हे शिव! आप अनंत और अविनाशी हैं। आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप सबके हृदय में निवास करते हैं और उन पर कृपा करते हैं। दुष्ट विचार मुझे हमेशा पीड़ित करते हैं और मुझे भ्रमित करते हैं, जिसके कारण मुझे कहीं भी शांति नहीं मिलती।

अर्थ- हे नाथ! मेरी रक्षा करो, मेरी रक्षा करो- इस प्रकार मैं आपको पुकार रहा हूं। आप आकर मुझे संकटों और कष्टों से उबारें। हे पापसंहारक! अपने त्रिशूल से मेरे शत्रुओं को नष्ट करो और संकट से मेरा उद्धार कर मुझे भवसागर से पार लगाओ।

अर्थ- माता-पिता, भाई-बंधु सभी सुख के साथी हैं। दुखों में कोई साथ नहीं देता, संकट आने पर कोई नहीं पूछता। हे स्वामी! मेरी आपसे ही आशा है, आप पर ही विश्वास है। आप आकर मेरे घोर संकट और कष्टों को दूर करें।

अर्थ- आप सदैव निर्धनों की सहायता करते हैं। जो कोई भी व्यक्ति आपसे कुछ भी मांगता है, उसको आपकी कृपा से वही प्राप्त होता है। हम नहीं जानते कि आपकी पूजा-अर्चना कैसे होती है, इसलिए हमें जो कुछ भूल-चूक हुई है, उसे आप क्षमा करें।

अर्थ- आप ही सभी कष्टों को नष्ट करने वाले हैं। सभी शुभ कार्यों की प्रेरणा करने वाले हैं और सभी विघ्नों और बाधाओं को दूर करने वाले हैं। योगी, यति, और मुनि सभी आपके प्रति ध्यान करते हैं। नारद मुनि और देवी सरस्वती (शारदा) भी आपको नमस्कार करते हैं।

अर्थ- ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने से ब्रह्मा आदि देवताएँ भी आपकी महिमा को समझ नहीं सकतीं। जो कोई भी व्यक्ति मन और निष्ठा से शिव चालीसा का पाठ करता है, उसे शंकर भगवान सहायता करते हैं और उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

अर्थ- हे करुणानिधान! जब किसी व्यक्ति को कर्ज के बोझ से दबा हुआ होता है, तो वह व्यक्ति आपके नाम का जाप करने से ऋण-मुक्त होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। जो कोई भक्त पुत्र प्राप्ति की कामना से आपकी कृपा से पुत्र-रत्न की प्राप्ति होती है।

अर्थ- प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को, हर श्रद्धालु और भक्त को विद्वान पण्डित को बुलाकर पूजा और हवन करवाना चाहिए। जो भक्त सदैव त्रयोदशी का व्रत करता है, उसके शरीर में कोई रोग नहीं रहता और किसी प्रकार का क्लेश भी मन में नहीं रहता।

अर्थ- धूप, दीप, और नैवेध से पूजन करके शिवजी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर शिव चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए। इससे जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में मनुष्य शिवलोक में वास करने लगता है, अथवा मुक्ति प्राप्त होती है।

अर्थ – अयोध्यादासजी कहते हैं कि शंकर भगवान, हमें आपसे ही आशा है। आप हमारी मनोकामनाएं पूरी करके हमारे दुखों को दूर करें।

अर्थ- इस शिव चालीसा का चालीस बार प्रतिदिन पाठ करने से भगवान मनोकामना पूर्ण करते हैं। मृगशिर मास की छठी तिथि हेमंत ऋतु संवत ६४ में यह चालीसा रूपी शिव स्तुति लोक कल्याण के लिए पूर्ण हुई है।


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